पहली चाय की कहानी...
ए क कथा के अनुसार क़रीब 2700 ईसापूर्व
चीनी शाशक शेन मुंग बाग़ीचे में बैठे गर्म पानी पी रहे थे। तभी एक पेडकी पत्ती उस पानी में आ गिरी जिससे उसका रंग बदलाऔर महक भी उठी। राजा ने चखा तो उन्हें इसका स्वादबड़ा पसंद आया और इस तरह चाय का आविष्कार हुआ।वहीं एक और कथा के अनुसार छठवीं शताब्दी में चीन केहुनान प्रांत में भारतीय बौद्ध भिक्षु बोधिधर्म बिना सोए ध्यानसाधना करते थे। वे जागे रहने के लिए एक ख़ास पौधे कीपत्तियां चबाते थे और बाद में यही पौधा चाय के पौधे केरूप में पहचाना गया।चाय के प्रकार...
वाइट टी शुद्ध और सभी चाय मेंसबसे कम प्रोसेस्ड होती है। ग्रीन टीसबसे मशहूर और एशिया में ख़ासीपसंद की जाती है। ओलांग टी चीनीचाय है जो चाइनीज रेस्त्रां में परोसीजाती है। ब्लैक टी को केवल गर्म| पानी में पत्तियां डालकर या दूध औरशक्कर के साथ भी पिया जाता है।| हर्बल टी में किसी भी प्रकार की चाय
की पत्तियां नहीं डाली जाती हैं।
भारत में चाय का आठान...
1824 में बर्मा (म्यांमार) और असम की सीमांत पहाड़ियोंपर चाय के पौधे पाए गए। अंग्रेजों ने चाय उत्पादन की
शुरुआत 1836 में भारत और 1867 में श्रीलंका में की।
पहले खेती के लिए बीज चीन से आते थे लेकिन बाद में
असम चाय के बीजों का उपयोग होने लगा। भारत में चाय
का उत्पादन मूल रूप से ब्रिटेन के बाजारों में चाय की मांग
को पूरा करने के लिए किया गया था। उन्नीसवी शताब्दी
के उत्तरार्ध तक भारत में चाय की खपत न के बराबर थी।
लेकिन आज भारत के हर चौराहे, नुक्कड़ पर आपको कुछ
मिले न मिले चाय जरूर मिल जाएगी।
चाय का वर्गीकरण...
चाय का वर्गीकरण खेती के स्थानके हिसाब से किया जाता है। जैसे
चीनी, जापानी, श्रीलंका, इंडोनेशिया
और अफ्रीकन चाय। कुछ नाम क्षेत्र
विशेष के अनुसार हैं जैसे भारत में
दार्जिलिंग, असम, नीलगिरी, श्रीलंका
में उवा और डिम्बुला, चीन के अन्हुई।
प्रांत के कीमन क्षेत्र की कीमुन चाय
और जापान की एंशु चाय।
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