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तीखेपन का प्राय मिर्च



• मिर्च की उत्पत्ति
मिर्च का उपयोग पहली बार क़रीब हजार ईसा पूर्व मैक्सिको में
हुआ था। मैक्सिकोवासी इसका उपयोग रोजमर्रा के भोजन में करते।
| थे। मिर्च का परिचय बाकी दुनिया से तब हुआ जब।
| इटैलियन समुद्री नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस भारत का
समुद्री मार्ग खोजते हुए अमेरिका पहुंच गए। उनके साथ मिर्च यूरोप
पहुंची। तीखे स्वाद और तासीर के कारण इसे काली मिर्च के पौधे
‘पाइपर निग्रम' के नाम पर 'पैपर' कहा गया। यूरोपीय भोजन में
मिर्च ने अपना रुतबा बढ़ाया और हर व्यंजन मिर्च के बिना अधूरा
माना जाने लगा।
• मिर्च के जुदा रंग
अमेरिका से मिर्च के बीज आयात हुए और नई किस्में उगाने का
सिलसिला चल पड़ा। आज मिर्च ठंडे प्रदेशों को छोड़कर सभी
उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) क्षेत्रों में उगाई जाती है। विश्वभर में
| मिर्च की लगभग 400 अलग-अलग प्रकार की किस्में पाई जाती
हैं। मिर्च न केवल पाक कला बल्कि दवा निर्माण के क्षेत्र में भी
उपयोग की जाती है। राजस्थान में तो केवल मिर्च और मसालों के
साथ ही कई व्यंजन बनाए जाते हैं।
०भारत का मिर्च प्रेम
| मिर्च भारत पहुंची पुर्तगालियों के साथ। मिर्च का जैविक नाम तो
कैप्सिकम एनम है लेकिन इसने स्थानीय भाषाओं में अलग-अलग
नाम पाए हैं। हिंदी में लाल मिर्च, बंगाली व उड़िया में लंका या
लंकामोरिच, गुजराती में मार्च व मलयालम में मुलाकू। नाम कई
हों लेकिन मिर्च की तासीर हर जगह एक सी है। विदेशियों के साथ
आई मिर्च इस क़दर देसी बन गई कि दुनिया की सबसे तीखी मिर्च
‘भूत झोलकिया' उत्तर भारतीय राज्य असम में उगाई जाती है। इसे
नागा झोलकिया, नागा मोरिच और घोस्ट चिली भी कहा जाता है।

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